यमनोत्री धाम में यमुना जी कि छवि वर्णन
यम कि बहन यमुना जी,
हिम शिखरों से यह बह निकली,
श्वेत,धवल, इसकी धारा,
दृश्य मनोरम अति प्यारा,
शान्त स्वरुपा सी यह निश्छल भी,
धारण किये हुए है यह शीतलता भी,
और शीतल इतनी कि हाथ कपें,
जहाँ पांव रखें वह वहीं जमें,
यम कि बहन यमुना जी,
हिम शिखरों से यह बह निकली।
आगे बढती, यह बल खाती सी,
कल➖कल करती,अविकल सी,
सूर्य देव कि यह बाला,
छोड चली पर्वत माला,
श्याम सुन्दर को पाने को,
प्रियत्तम से मिलने जाने को,
अपने अराध्य को ध्याने को,
श्याम स्वरुपा यह बन चली,
आगे बढती अविचल सी,
यम कि बहन यमुना जी,
हिम शिखरों से यह बह निकली।