यदि
कोयल की कूक
मयूर की थिरक
रिमझिम सावन की
खुशबू मधुबन की
सच है
बहुत प्यारी लगती हैं
यदि
पेट भरे हों
तन ढके हों
मौसम अनुकूल हों
टूटता है विश्वास
चलती हैं परिभाषाएं
डंसती हैं आस्थाएं
रोटी -चरित्र -प्यार
होते हैं जब
सिर्फ शब्दों में
दिखाई देते हैं जब सिर्फ मंचों पर
कैद होते हैं जब सिर्फ ग्रंथों में
सच है
बहुत प्यारी लगती हैं
कोयल की कूक
मयूर की थिरक
रिमझिम सावन की
खुशबू मथुबन की
बहुत प्यारी लगती हैं
बहुत प्यारी लगती हैं
बहुत प्यारी लगती हैं
@डा०रघुनाथ मिश्र ‘सहज’
अधिवक्ता /साहित्यकार
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