Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 Apr 2022 · 1 min read

यदि मेरी पीड़ा पढ़ पाती

यदि मेरी पीड़ा पढ़ पाती
तो निश्चय ये हाल न होता ।
मन जितना बेहाल अभी है
उतना तो बेहाल न होता ।
तुमने अब तक मौन पढ़े सब
झ्न आंखो के झ्न आहों के
किन्तु आज क्यों पढ न पाई
लिखे हर्फ भी इन हाथों के ?
धुंध की कैसी परत चढ़ाई
समय ने हम दोनों के बीच ।
पास सदा ही रहे तुम्हारे
किन्तु तुम्हें न हुए प्रतीत ।
बीते इन सब दिन पल छिन में
कितनी पीड़ा पाई है ?
घूंट आंसुओं के ही पीकर
मैंने प्यास बुझाई है ।
तुम्हें हुआ आघात बहुत
पर चोट इधर भी आई है ।
तुम पर है जो बीती अब तक
की मैंने भी भरपाई है।

Language: Hindi
281 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Saraswati Bajpai
View all
You may also like:
जीवन जोशी कुमायूंनी साहित्य के अमर अमिट हस्ताक्षर
जीवन जोशी कुमायूंनी साहित्य के अमर अमिट हस्ताक्षर
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
यादों के अभिलेख हैं , आँखों  के  दीवान ।
यादों के अभिलेख हैं , आँखों के दीवान ।
sushil sarna
" अधरों पर मधु बोल "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
अधीर होते हो
अधीर होते हो
surenderpal vaidya
Thanh Thiên Phú
Thanh Thiên Phú
Thanh Thiên Phú
माँ
माँ
Raju Gajbhiye
इन सर्द रास्तों पर
इन सर्द रास्तों पर
हिमांशु Kulshrestha
दोहे एकादश ...
दोहे एकादश ...
डॉ.सीमा अग्रवाल
बुरा नहीं देखेंगे
बुरा नहीं देखेंगे
Sonam Puneet Dubey
बाल कविता : रेल
बाल कविता : रेल
Rajesh Kumar Arjun
मतदान कीजिए (व्यंग्य)
मतदान कीजिए (व्यंग्य)
सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण'
प्यार कर हर इन्सां से
प्यार कर हर इन्सां से
Pushpa Tiwari
नव वर्ष का आगाज़
नव वर्ष का आगाज़
Vandna Thakur
दुआ सलाम न हो पाए...
दुआ सलाम न हो पाए...
अरशद रसूल बदायूंनी
ना कर नज़रंदाज़ देखकर मेरी शख्सियत को, हिस्सा हूं उस वक्त का
ना कर नज़रंदाज़ देखकर मेरी शख्सियत को, हिस्सा हूं उस वक्त का
SUDESH KUMAR
" इंसान "
Dr. Kishan tandon kranti
राजस्थानी भाषा में
राजस्थानी भाषा में
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
4890.*पूर्णिका*
4890.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
*चुनावी कुंडलिया*
*चुनावी कुंडलिया*
Ravi Prakash
फूलों से सीखें महकना
फूलों से सीखें महकना
भगवती पारीक 'मनु'
देसी घी से टपकते
देसी घी से टपकते
Seema gupta,Alwar
सत्य
सत्य
देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत'
प्रेम और घृणा से ऊपर उठने के लिए जागृत दिशा होना अनिवार्य है
प्रेम और घृणा से ऊपर उठने के लिए जागृत दिशा होना अनिवार्य है
Ravikesh Jha
पास अपने
पास अपने
Dr fauzia Naseem shad
“किरदार”
“किरदार”
Neeraj kumar Soni
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
जिन्हें
जिन्हें "हिंसा" बचपन से "घुट्टी" में मिला कर पिलाई जाएगी, वे
*प्रणय*
न रोने की कोई वजह थी,
न रोने की कोई वजह थी,
Ranjeet kumar patre
अंगड़ाई
अंगड़ाई
भरत कुमार सोलंकी
मां इससे ज्यादा क्या चहिए
मां इससे ज्यादा क्या चहिए
विकास शुक्ल
Loading...