!! यथार्थ !!
!! पाँच दोहे !!
**एक**
हर कोई छलने लगा, किस पर करें यकीन,
मनवा तो बोझिल हुआ, चैन गया अब छीन ।
**दो**
कमजोरों की बात हो, रख लो उनका मान,
जो मलीन हैं जगत में, दो उनको सम्मान ।
**तीन**
पीढ़ी ऐसी आ गयी, सुने नहीं अब बात,
घर से बाहर ही रहे, दिन हो चाहे रात ।
**चार**
दशा बदल दी देश की, खेले खेल हज़ार,
साँसों के लाले पड़े, नहीं मिले तीमार ।
**पांच**
जैसे-जैसे उम्र बढ़े, अनुभव होय अपार,
मिले मान तो ठीक है, या फिर सब बेकार ।
दीपक “दीप” श्रीवास्तव