यथार्थ
क्या साथ लाएं थे
क्या साथ ले जाएंगे
कहते अक्सर लोग
जूठे लोग
झूठा जीवन
जीते लोग
सब जानते हैं
न जाने कितने
अपूर्ण सपने
अधूरी ख्वाहिशें
असंख्य अनकही बातें
साथ जाएंगी
जगत से अज्ञात
जगत के लिए।
-डॉ विजेंद्र प्रताप सिंह
क्या साथ लाएं थे
क्या साथ ले जाएंगे
कहते अक्सर लोग
जूठे लोग
झूठा जीवन
जीते लोग
सब जानते हैं
न जाने कितने
अपूर्ण सपने
अधूरी ख्वाहिशें
असंख्य अनकही बातें
साथ जाएंगी
जगत से अज्ञात
जगत के लिए।
-डॉ विजेंद्र प्रताप सिंह