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21 Apr 2018 · 1 min read

यथार्थ

मुख्य पटल
शीर्षक-यथार्थ त्रुटियों पर निंदा मिली,उत्तम पर सब मौन। यथार्थ यही है आज का,मन पढ़े अब कौन । मन चाहा मिलता नहीं,समय -समय की बात। जो जोड़ -तोड़ की नीति करें, समय उसी के साथ। सत्य यहाँ मोहरा बने,असत्य का है दाँव। षडयंत्रो का चक्रव्यूह, स्वार्थ के पसरे पाँव। जीवन मृगमरीचिका ,जगह-जगह भ्रमजाल। कृत्रिम यहाँ पर छाँव है,मिले… चुकाये माल। स्वार्थ का चूल्हा बना,धूर्तता की आँच। संबंधों की खिचड़ी चढ़ा,स्वाद रहे सब जाँच। भूख प्यास सब एक सी,लहू का रंग भी एक। जाति धर्म को भूल कर,हो जाओ सब एक। स्वरचित डॉ प्रिया सोनी खरे

Language: Hindi
2 Likes · 2 Comments · 371 Views
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