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22 May 2024 · 1 min read

यथार्थ

न ताज्जुब कम हैं, न करिश्में ही कम हैं
ज़िंदगी जी रहे, क्या क़यामत से कम है

जिरह में जीत जाओ कोई बड़ी बात नहीं
दोस्ती हार न जाओ, इस बात की खबर है

न ढूँढ़ो सच,अक्सर ही, ख़ाली हाथ लौट आओगे
कौनसा सच पूर्ण, इसमें विवाद कहाँ कम हैं

परखने की गुंजाइश कहाँ, जब हो कोई अपना
कसौटी पर कसा तो रिश्ता टूट जाने का डर है

डा राजीव “सागरी”

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