यथार्थ का सामना
अपने यथार्थ को स्वीकार करो। अपनी नियति का सामना करो। तुम जो हो-वही बन सकते हो। दूसरों के जैसा बनने की कोशिश फिजूल है।
अपने यथार्थ को स्वीकार करो। अपनी नियति का सामना करो। तुम जो हो-वही बन सकते हो। दूसरों के जैसा बनने की कोशिश फिजूल है।