यथार्तवादी
थोड़ी खुदगर्जी
है अभी बाकी,
नई पीढ़ी, पूरानी पीढी
की तुलना में है यथार्तवादी।
परिवार,, नोकरी,रिश्तो में
सोच है आगे रहने की,
कुछ बदलाव है ऐसे
प्रातिभा का सफल प्रदर्शन।
परिस्तिथियों को
भुनाने की कुशलता,
पीढ़ियों के अंतर
के बाद दिखाई देने लगे।
मेहनत करते कड़ी
चाहते अच्छी जीवनशैली,
बिगड़ रहा है सन्तुलन
अगर चाहते हो
दुनीयाँ हो भली।
तो शुरू करदो अपने से
स्वम् भले बन जाओ,
मानसिक स्वस्थता
जड़ से मिटा देगी
सारी समस्याओ को।।