यथाकथित यह कैसी दुनिया
यथाकथित यह कैसी दुनिया हे ईश्वर मेरे रच डाली ,
युग बनाये ,अवतार लिए ये कैसी शासन प्रणाली।
पढूं लिखू सोचूँ हरदम ,
हर पल में यही विचार करूँ
राम बनु ,या श्याम बनु
क्या गौतम महावीर पर विचार करूँ..
विश्वरचेता मेरे मोला महिमा तेरी निराली,
चन्दा बनाया शीतल, सुरज में है आग डाली।
जारी