Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 May 2023 · 1 min read

यक्ष प्रश्न

कितने ठहराव
कितनी दीवारें
कितनी भूली बिसरी
बांधी सिमटी यादें
कितने स्वप्न
कितने सच
कितनी रातें
कितने अंधेरे
कितनी सुबहें
नम ओस रौशनी
कितने प्रण
कितनी पंखुड़ियां
कितने पुष्प
कितने अरमान
कितना सूनापन बाहर
कितने तूफान भीतर
कितने ख्वाबी
महल सतरंगी
कितने आश्रय
घुटी-घुटी रातें
कितने अवलंब
कितने बिलम्ब
कितनी छटपटाहटें
कितने बंधन
कितना व्योम
कितना शून्य
असीमित मन
सीमित पंख
वाहिनियों में रक्त,
जैसे कलकल नदी
ठहरती बहती
मचलती इतराती
जीवन रहस्य बताती,
हवाऐं पल-पल
छेड़ती जगाती
कहीं भी उड़ा ले जाती
पटखनी-दर-पटखनी
प्रश्न-दर-प्रश्न
जीवन रह गया
अबूझ यक्ष प्रश्न
मैं यों ही
तुम्हारे तिलिस्म पर
गीत गजल
काव्य कहानी
लिखता रहूं
ऐ जिन्दगी!
मेरा संकल्प देख
मैं तेरी बयार में
तेरी खुशी के मुताबिक
दिशा-विदिशा
उलझता बहता रहूं
जब तक
तेरे थपेड़े सह सकूं
तेरी इस अबूझ कोख में,
और
जब निस्तेज हो जाऊँ
उस पार चला जाऊँ
तेरे
उस आखिरी झोंके के साथ
ऐ जिन्दगी!
कितना सरल सहज निर्बाध है
तेरी आसक्त उलझनों के,
मकड़जाल में
मेरी जिजीविषा का
यह विरक्त उपक्रम।
-✍श्रीधर.

135 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Shreedhar
View all
You may also like:
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
कृष्ण चतुर्थी भाद्रपद, है गणेशावतार
कृष्ण चतुर्थी भाद्रपद, है गणेशावतार
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
अगर वास्तव में हम अपने सामर्थ्य के अनुसार कार्य करें,तो दूसर
अगर वास्तव में हम अपने सामर्थ्य के अनुसार कार्य करें,तो दूसर
Paras Nath Jha
जब तक लहू बहे रग- रग में
जब तक लहू बहे रग- रग में
शायर देव मेहरानियां
■ कटाक्ष...
■ कटाक्ष...
*प्रणय प्रभात*
पचीस साल पुराने स्वेटर के बारे में / MUSAFIR BAITHA
पचीस साल पुराने स्वेटर के बारे में / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
*सीता जी : छह दोहे*
*सीता जी : छह दोहे*
Ravi Prakash
जीवन की इतने युद्ध लड़े
जीवन की इतने युद्ध लड़े
ruby kumari
"जिद"
Dr. Kishan tandon kranti
बचपन
बचपन
लक्ष्मी सिंह
पंडित मदनमोहन मालवीय
पंडित मदनमोहन मालवीय
नूरफातिमा खातून नूरी
पहाड़ पर कविता
पहाड़ पर कविता
Brijpal Singh
दीपावली
दीपावली
Neeraj Agarwal
तनाव ना कुछ कर पाने या ना कुछ पाने की जनतोजहत  का नही है ज्य
तनाव ना कुछ कर पाने या ना कुछ पाने की जनतोजहत का नही है ज्य
पूर्वार्थ
बस यूँ ही
बस यूँ ही
Neelam Sharma
बहे संवेदन रुप बयार🙏
बहे संवेदन रुप बयार🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
काल  अटल संसार में,
काल अटल संसार में,
sushil sarna
यह क्या अजीब ही घोटाला है,
यह क्या अजीब ही घोटाला है,
Sukoon
यही रात अंतिम यही रात भारी।
यही रात अंतिम यही रात भारी।
Kumar Kalhans
16. आग
16. आग
Rajeev Dutta
कहनी चाही कभी जो दिल की बात...
कहनी चाही कभी जो दिल की बात...
Sunil Suman
हमको तू ऐसे नहीं भूला, बसकर तू परदेश में
हमको तू ऐसे नहीं भूला, बसकर तू परदेश में
gurudeenverma198
International plastic bag free day
International plastic bag free day
Tushar Jagawat
दीपोत्सव की हार्दिक बधाई एवं शुभ मंगलकामनाएं
दीपोत्सव की हार्दिक बधाई एवं शुभ मंगलकामनाएं
Lokesh Sharma
चर्चित हो जाऊँ
चर्चित हो जाऊँ
संजय कुमार संजू
जिम्मेदारी और पिता (मार्मिक कविता)
जिम्मेदारी और पिता (मार्मिक कविता)
Dr. Kishan Karigar
2394.पूर्णिका
2394.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
कूड़े के ढेर में
कूड़े के ढेर में
Dr fauzia Naseem shad
जिंदगी एक सफर सुहाना है
जिंदगी एक सफर सुहाना है
Suryakant Dwivedi
चित्रगुप्त सत देव को,करिए सभी प्रणाम।
चित्रगुप्त सत देव को,करिए सभी प्रणाम।
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
Loading...