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25 Jul 2017 · 1 min read

यकीं नही होता

गली ये मोहबत की जान पतली है
चलें जो साथ दोनों इश्क़ असली है

दवा मिलती नही शक की यहाँ मेरे
इसी खतिर दुकानें तुम ने बदली है

समंदर हो गया खुश देख ये मंजर
रही जिंदा बिना पानी केे मछली है

कहाँ तू खो गया मिल क्यों नही जाता
तुझे तो ढूंढने अब रूह निकली है

हमेशा बोलती वो मोम जैसी हूँ
दुरी की आग से भी न पिघली है

1 Like · 1 Comment · 226 Views
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