मौसम
पतझड़ का भय हाय क्यों है?
जब है मौसम बहार का।
आई मिलन की ऋतु सुनो,
अब वक्त गया इंतज़ार का।
समेटकर के दूर कर,
तू दूरियां नीलम।
अब तो शिकायत छोड़,
ये मौसम है प्यार का।
नीलम शर्मा
पतझड़ का भय हाय क्यों है?
जब है मौसम बहार का।
आई मिलन की ऋतु सुनो,
अब वक्त गया इंतज़ार का।
समेटकर के दूर कर,
तू दूरियां नीलम।
अब तो शिकायत छोड़,
ये मौसम है प्यार का।
नीलम शर्मा