मौसम
गर्मी, सर्दी हो या बरसात ,
होता अनूठा रूप मौसम ,
प्रशांत मन से अवलोकन पर ,
कितना मनोहर लगता मौसम।
मौसम से ही प्रशांत मत में ,
आती चंचलता की चहकता ,
इसके बदलते दौर में ही ,
रम्य नर्तन करता नीलकंठ।
पशु – पक्षी हो या मनुज
सबकी चाह रम्य मौसम
प्रशांत मानस को भाता
मौसम का मनोहर होना।
✍️✍️✍️उत्सव कुमार आर्या
जवाहर नवोदय विद्यालय बेगूसराय, बिहार