मौसम
मौसम का न कोय ठाँव
कब कैसा पर्यय दे डालें ?
हरघटी रज:स्राव यहां का
रहता न एक जैसा हमेशा ।
अवधि बदलता रहता सदा
इसमें ना कोई दुराय यहां
इसके अनुकूल सदा हमें
ढलना चाहिए इस भव में ।
कभी निदाघ, कभी पाला
कभी ताप तो कभी छाया
सदा मौसम चक्र यहां पर
चलता रहता इस जग में ।
मासिक धर्म का न ठिकाना
कब क्या हो जाए खलक में
आबोहवा करता है तबदीली
तासीर का सिद्धांत बदलाव ।
अमरेश कुमार वर्मा
जवाहर नवोदय विद्यालय बेगूसराय, बिहार