#रुबाइयाँ
जब से जानांं तूने मुझसे , हृदय लगाना छोड़ दिया।
मैंने भी तब से मायूसी को , गले लगाना छोड़ दिया।।
एक वक़्त था हमें देखके , भुला दिया करते खुद को;
आज तुम्हीं ने हमसे जानां , नज़र मिलाना छोड़ दिया।।
मौसम जैसे बदले हो तुम , पर मिज़ाज जुदा तुम्हारा।
मौसम फिर से लौटा करता , पर तुमको नहीं गँवारा।।
दिल अरमानों को तोड़ दिया , बेचैन हमें बहुत किया
हमें ज़िंदगी कहकर तुमने , हमसे ही किया किनारा।।
अरमानों की मुट्ठी भरके , तेज हवा में उछाल दी।
मेरे दिल की बातें तूने , सब हँसके यार टाल दी।।
धोखा देकर हँसने वाले , चैन नहीं ग़म पाते हैं;
होश नहीं है अभी ख़ुमारी , भूले हो चाल काल दी।।
-आर.एस.’प्रीतम’