मस्ती हो मौसम में तो,पिचकारी अच्छी लगती है (हिंदी गजल/गीतिका
मस्ती हो मौसम में तो,पिचकारी अच्छी लगती है (हिंदी गजल/गीतिका)
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(1)
मस्ती हो मौसम में तो, पिचकारी अच्छी लगती है
पैसा हो तो उत्सव की, तैयारी अच्छी लगती है
(2)
जहाँ नहीं अभिमान तनिक भी, निश्छलता केवल बसती
आदत फूलों की हँसती-सी, क्यारी अच्छी लगती है
(3)
नहीं कभी जो ठगते, भोले-भाले सच्चे लोगों को
ऐसे लोगों की विपदा में, यारी अच्छी लगती है
(4)
चलते- चलते नहीं रुके जो, मंजिल तक पहुँचा देती
सदा पास में ऐसी एक, सवारी अच्छी लगती है
(5)
कहने को तो कई तरह की, पोशाके हैं दुनिया में
सुंदरतम है पहने साड़ी, नारी अच्छी लगती है
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर ,उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451