मौसम की तरह तुम बदल गए हो।
मौसम की तरह तुम बदल गए हो।
वफ़ा के वादे से तुम मुकर गए हो।।1।।
संग रहकर तुम हमको ना समझे।
वक्त जैसे आके तुम गुज़र गए हो।।2।।
बिन नजरे मिलाए हमसे कहते हो।
ना प्यार है कैसा इश्क कर रहे हो।।3।।
कबसे बसे थे तुम मेरे इस दिल में।
बनके अश्क नजरों से बह गए हो।।4।।
बड़ा अकीदा था तुमको दूसरों पर।
मेरी खातिर क्यूं तुम भटक रहे हो।।5।।
बेवफाई का अज्र तुम्हे मिल गया है।
तन्हा होकर अकेले जो जी रहे हो।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ