मौलिक कवि युग – युग तक पूजे जाते हैं
जो कवि नित्य निशा को दिवस बनाते हैं
दरबारी कवि बनकर आदर पाते हैं
है इतिहास गवाह क्रूर की सत्ता में
मौलिक रचनाकार सताए जाते हैं
असली रचनाकार कष्ट सहते हैं पर
पूरब को वे पश्चिम नहीं बनाते हैं
बातें हैं गर सच्ची तो वे उभरेंगी
राजा के दादा भी दबा न पाते हैं
दरबारी कवि लाखों दौलत पाकर भी
शासक की गलियों में ही सड़ जाते हैं
अवधू पूजा होती है मौलिकता की
मौलिक कवि युग-युग तक पूजे जाते हैं
अवध किशोर अवधू
मोबाइल नंबर 9918854285
दि.01-02-2022