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1 Jun 2021 · 1 min read

मौन

मौन हो आये हैं आशिक आज बाते करने को
आँखों से वो कह रहे हैं साथ जीने मरने को

इक दफा फिर दिल हुआ खुश तू जो मेरे संग है
राहत की हर गहराइयों में घुल रहा तेरा रंग है

मेरी दुआ के राज में तू आके कुछ यूँ छुप गया है
राही था अबतक ज़िन्दगी में, तुझमे जो अब रुक गया है

आँचल तेरा हो और मेरा हाथ खुशियाँ भरनें को
मौन हो आयें हैं आशिक आज बातें करने को

आज बैठे हो जो मेरी बाह में तुम सिर टिकाकर
साथ जाहिर कर रहें हैं चाँद तारे झिलमिलाकर

आँखों से नींदें चुराकर, आओ हम नजरें मिलायें
इक दूसरे के ख्वाब में हम डूबकर कुछ दूर जायें

चाहत है तेरे नाम जीवन आज अपना करने को
मौन हो आयें हैं आशिक आज बातें करने को

– कैलाश सिंह
सतना (मध्य प्रदेश)

Language: Hindi
3 Likes · 2 Comments · 387 Views
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