मौन
शव्द हो जाते हैं गौण
जब मौन बोलता है…
बिन कहे ये तो
सब राज़ खोलता है….
क्यों हों हर बार
शब्दों के मोहताज हम…
कभी तो सुने उसे
जो एहसास बोलता है…
कहाँ काम आते हैं
शब्दों के झूठे सहारे…
समंदर जज़वात का
जब दिल में डोलता है…
लेकर इनका सहारा
कब तक बहलाओगे…
ये खुद हैं लाचार
सीमाओं में गिरफ्तार…
अंतहीन अंत मे
बस अनन्त खोजता है ll
सीमा कटोच