मौन
मौन
मौन तुम्हारे स्वर कितने हैं,देखा आज
भुजा,चरण,मुख,सर कितने हैं,देखा आज
कवि कलम ने तुम को आज उकेरा है,
फूलों संग पत्थर कितने हैं,देखा आज।
मुखर हुए तुम भावनाओं ने जब घेरा
तोड़े व जोड़े घर कितने हैं,देखा आज
प्रिय के कटुवचन पे तुम हो ढाल समान
चुप से सजे अधर कितने हैं,देखा आज
प्यार की पहली भाषा होती खामोशी
रिश्ते रहे निखर कितने हैं,देखा आज
जुल्मों पर है चुप्पी लेकिन ठीक नहीं
झुके इसी पर सर कितने हैं,देखा आज
मौन तुम्हारे स्वर कितने हैं,देखा आज
भुजा,चरण,मुख,सर कितने हैं,देखा आज
✍हेमा तिवारी भट्ट✍