*”मौन”*
“मौन”
जब कोई बात समझ में ना आए ,
मुश्किल संकट की घड़ी आ जाए ,
बिगड़ी हुई बात सम्हल ना पाए ,
दिल की बात कोई समझ न पाए।
तब मौन धारण कर लो।
कोई समस्या का हल न निकले ,
कंटक पथ पर कोई राह न दिखे ,
अजीब मनःस्थिति बन रही हो ,
निराशाओं ने जकड़ लिया हो ,
“तब मौन धारण कर लो।
नियत समय से कार्य पूर्ण न हो ,
धैर्य संयम अधीर नही रखते हो ,
मीनमेख कमियां नजर आती हो ,
रोक टोक गल्तियां दिखती हो ,
तब मौन धारण कर लो।
दूसरों की तुलना कर दुःखी हो ,
उचित समय पर काम नही हो ,
बिखरे हुए लम्हों को समेट लो ,
खुद को पहचान कर टटोल लो।
तब मौन धारण कर लो।
प्रभु से आस लगा श्रद्धा भक्ति जगा लो।
ज्ञान की ज्योति जला उम्मीद का दामन थाम लो।
अंतर्मन में ज्ञान साधना शक्ति जागृत कर लो।
आंखे बंद कर चिंतन मनन में लीन मौन साध लो।
तब मौन धारण कर लो।
शशिकला व्यास✍️
स्वरचित मौलिक रचना