मौन होठों को
मुक्तक
मौन होठों को जरा तुम मुस्कुराहट दीजिये।
है खजा सा दिल मुहब्बत की सजावट दीजिये।
हर खुशी से ये जहां में हो गया महरूम है।
दिल है’ तनहा यारियों की इक बसाहट दीजिये।
अंकित शर्मा’ इषुप्रिय’
रामपुर कलाँ,सबलगढ(म.प्र.)