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7 Jul 2024 · 1 min read

मौन मुहब्बत में रही,आंखों में थी आश।

कुण्डलिया छंद

मौन मुहब्बत में रही,आंखों में थी आश।
देर भले हो मिलेंगे, मन में था विश्वास।
मन में था विश्वास जिसे उसने था चाहा।
रही बात ये और, नहीं वो उसको ब्याहा।
जब भी कोई पूछता, इतना प्यारा कौन।
बस इकलौते प्रश्न पर, रही सदा वो मौन।

………..✍️ सत्य कुमार प्रेमी

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