“” *मौन अधर* “”
“” मौन अधर “”
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मौन अधर
देखके तेरे
नयनों ने नयनों से,
कह डाला सभी कुछ !
रही ना कुछ भी कहने सुनने की,
अब अधरों को यहाँ पे जरुरत…..,
और समझ गए हम सभी कुछ !! 1 !!
मौन अधर
सजल आँखें
दरम्यान रहा नहीं कुछ,
और कह चुकीं ये सभी दास्ताँ !
बस कुछ ना कहें ये अधर यहाँ पे…..,
अब है तुम्हीं को तुम्हारा वास्ता !! 2 !!
मौन अधर
अंतस देखें
जानें मन को मन,
और चलें पढ़ते मौन भाषा !
जो व्यथा कह ना पाएं कभी ये शब्द…,
उनसे अच्छा है यहाँ मौन बनें ही रहना !! 3 !!
मौन अधर
अमर साधना
चले मिलाए परमेश्वर से,
और गुरु शिष्य का कराए अद्भुत मिलन !
आओ, इसे अपने जीवन में उतारलें…..,
और प्राप्त करलें, सुख शांति प्रेम सुकून !! 4 !!
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सुनीलानंद
रविवार,
12 मई, 2024
जयपुर
राजस्थान |