“मौत”
मौत तो कहते है एक सच्चाई है,
“मौत” को देख ज़िदगीं घबराई है।
जब यह आती है किसी को नही भाती है,
“मौत” की यह एक कड़वी सच्चाई है।
यह ना देखे नवजात का रुदन,
यह क्या जाने बूढ़ों की आँख भरभराई है।
अटल है जल्दी टलती नही ये,
लौटकर सदा वापस आई है ये।
यही है जो फर्क नही करती कभी ,
अमीर-गरीब को सदा एक सी आई है।
कलयुग हो, सतयुग हो,कोई भी युग हो,
युगों-युगों इसकी पंरपंरा चली आई है।
डरना क्या आओ “सरिता”,इसका सम्मान करें,
यही अपनी है दोस्तों, बाकी दुनिया तो पराई है।
#सरितासृजना