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26 Jul 2022 · 1 min read

मौत

रफ़्ता रफ़्ता दबे पांव बिना आहट के ,

मौत कुछ इस तरह ज़िंदगी से मिलती है I

ये हंसी ख्वाब दिखाकर छलती सबको ,

मेरे आग़ोश में एक मीठी नींद पलती है II

मुस्कराती हुई बढ़ती है अन्धेरों की तरफ ,

अपने चेहरे पे बिछाके उदासी की परत ,

ख़ौफ़ के सायों से उम्र भर भिड़ती हुई ,

चाहत में उजालों के रात मिटती है II

एक अन्जान सी उसकी तन्हा राहों में ,

बेइंतिहा सुकूं उसकी हसीं बाँहों में ,

एक ख़ामोशी की चादर लपेटे तन पे ,

लवों पे मुस्कान सजी दिखती है II

कभी ख़ुशी कभी ग़मगीं नग़्मे गाके ,

कभी उम्र के आखरी पड़ाव पे आके ,

एक लम्बे सफ़र के बाद खो के ज़िंदगानी ,

मौत की हसीं बांहों में जगह मिलती है II

Language: Hindi
1 Like · 2 Comments · 422 Views

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