मौत
——————————-
मौत
आगोश तुम्हारा बहुत खूब है
कि लीपा–पोती की तरह
मिटा देता है सारा भूत।
रूको‚
हथेली भरना तो दूर
नाखून तक नहीं रंगे हैं।
कुछ पैरों से बहुत नीचे
और
कुछ हाथों से बहुत उपर
टँगे हैं।
कत्ल और जफा से
मेरे लहू का कतरा महकने दो।
तुम तो मिटा ही दोगे
गुनाह के सारे सबूत।
——————————