मौत
मौत के लिए जन्म लिया, अंत में मौत में खो जाएगा
क्या लेकर आया था, क्या लेकर जाएगा ।
खामोश, धीमे पैर, बिना आहट किए आती है
जिस्म छोड़ के रूह यह ले जाती है ।
जग ,रिश्ते ,अपनों ,की मोह माया छोड़ कर
अनंत विराम, हर जगह कालेपन की कालक में यह सुलाती है।
जिसके लिए तू हर वक़्त, सबसे लड़ा
दोलत ,शोहरत, इज्जत, किसी को ना यह मायने रखती है।
रहस्यमई, कुछ अनसुने जादू सी यह लगती है,
कोई इसका नाम ना लें ,सारे जग की सांसे इसे डरती है।
मौत से मिलकर कोई भी, इसके किससे ना सुना पाया है।
ऐसा खौफ, ऐसी पहेली है, हर शख्स इससे घबराया है ।
अनुमान लगाते हैं सभी ,कुछ अच्छा, कोई बुरा कहते हैं
पुणेजन्म ,पापों से मुक्ति, कोई जिंदगी से अंधेरी कारावास कहते हैं ।
तू कर मत गुरुर, मिट्टी के पुतले
तू एक दिन मौत का मजा खाएगा ।
मौत के लिए जन्म लिया, अंत में मौत में खो जाएगा
क्या लेकर आया था ,क्या लेकर जाएगा ।
हर्ष मालवीय
बीकॉम कंप्यूटर तृतीय वर्ष
शासकीय हमीदिया कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय भोपाल