— मौत से प्रेम —
जिन्दगी भर रहा गफलत में
अब जरा मौत से प्यार कर लूं
सब को तो खुश न कर सका
अब मौत को तो खुश कर लूं !!
कितना प्यार दिया सब को
कितना सब से पाया है
जाते जाते गुप चुप चला जाऊं
बाकी अब मौत से तो कर लूं !!
दिल नही दुख किसी का आज तक
पर दुनिया ने बहुत दुखाया है
अपने जख्मों पर मरहम खुद लगाया
अब मरहम मौत से ही लगवा लूं !!
लौट के नही आता कोई जाने के बाद
क्यूंकि बेपनाह जख्म दिए ज़माने ने
अरज है प्रभु तुझ से अब मेरी सुनलो
दोबारा मौत न मिले ऐसा कुछ कर लूं !!
जीते जी ही माफ़ी मांग लूं सब से
कौन मांगता है फिर सो जाने के बाद
बेशक न करना याद कभी तुम
“अजीत” अब मौत संग प्रेम तो कर लूं !!
अजीत कुमार तलवार
मेरठ