— मौत तो मौत है —
न यह वक्त को देखती
न यह जगह को देखती
न किसी का बचपन , और
न किसी की जवानी को देखती
इस को किसी से मतलब नही
यह तो अपने अंजाम को देखती !!
न जाने कितने समां गए
इस को सूनी सी गोद में
यह हर किसी को अपनी
आगोश में लेने की सोचती !!
कोई बड़ा या छोटा नही
कोई धनी और निर्धन नही
इस ने तो ले जाना है साथ
यह तो बस अपना अपना है सोचती !!
मौत तो मौत है दोस्तों
इस का नाम ही है बिन सांस के
न रास्ता, न किसी का घर,
हर जगह है मुककरर
बस मौत के ही वास्ते
कब तोड़ दे साँसों की लड़ी
दुनिया में सब कुछ बस यही है सोचती !!
अजीत कुमार तलवार
मेरठ