मौत को ज़िन्दगानी लिखेंगे
अजब प्यार की हम कहानी लिखेंगे
कि हम मौत को ज़िन्दगानी लिखेंगे।
कि बहने लगीं आँख गर तेरे ग़म में
तो दरिया की उसको रवानी लिखेंगे।
जो बुझते चिरागों को फिर रोशनी दे
कि उस रात को हम सुहानी लिखेंगे।
मिटा खुद की हस्ती वतन पर जो बिछता
उसी को तो असली जवानी लिखेंगे।
तकल्लुफ़ में भी साथ सच के चलेगें
सदाकत की सुम्बुल रुहानी लिखेंगे।
रंजना माथुर
अजमेर (राजस्थान )
मेरी स्व रचित व मौलिक रचना
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