मौत के हथेली पे लिखा इक मेरा नाम था
मौत के हथेली पे लिखा इक मेरा नाम था
हमने कहा … जा अभी फुर्सत नहीं
यार से मिलना मेरा सबसे जरूरी काम था
जिंदगी से कोई गिला शिकवा नहीं
यार बस इक बार मिले तो
मौत का भी खुदा से कम रुतबा नहीं
हमारे नफस नफस में यार का बस नाम था
मौत से डरना भला कहां हमारा काम था
जिंदगी के हथेली पे सिसकना
इश्क का बस यही अंजाम था
~ सिद्धार्थ