मौत के सामने भी सजग चैतन्य और शांत बने रहे डॉ कलाम
मौत के सामने भी रखा धैर्य और इत्मीनान
ऐसे थे डॉक्टर अब्दुल कलाम
शायद बे मौत को भी दे रहे थे इंतिहान
वाकया 30 सितंबर 2001 का है
डॉ एपीजे अब्दुल कलाम के साथ का है
बे झारखंड स्टेट साइंस एंड टेक्नोलॉजी की बैठक में हिस्सा लेने हेलीकॉप्टर से, रांची से बोकारो जा रहे थे साथ में मंत्री समरेश सिंह, अन्य लोग जा रहे थे आसमान की ऊंचाइयों में, उड़ते हुए हेलीकॉप्टर में पंखे के रोटर में खराबी आ गई,
सभी की जान सांसत में आ गई
हेलीकॉप्टर हिचकोले खा रहा था
सह यात्रियों में घबराहट, हर कोई चीखे जा रहा था मौत के सामने भी डॉक्टर कलाम थे शांत
नहीं हुए बिचलित जरा भी अशांत
उन्होंने घबराए दोनों पायलटों को ढाढस बंधाया अपना सर्वश्रेष्ठ करने का उपाय सुझाया
उनकी आपातकालीन प्रेरणा से
पायलटों में हिम्मत आ गई
गिरते हुए हेलीकॉप्टर की स्पीड नियंत्रित की गई हेलीकॉप्टर जमीन पर आ गिरा
स्पीड कंट्रोल हो जाने से नुकसान कम हुआ
सभी की जान बच गई
डॉ कलाम को हल्की चोट लग गई
मरहम पट्टी करा, वे कार्यक्रम में पहुंच गए
मौत के सामने भी, धैर्य एवं सूझ बूझ के
सब उनके कायल हो गए
धन्य है डॉक्टर कलाम आपको कोटि-कोटि प्रणाम सुरेश कुमार चतुर्वेदी