मौत के घर से
आज है साथ जो मेरे वक्त बिताने से मिले
था समझाया भी अकल ठोकर खाने से मिले
सफलता मिलनी होती है कहा इतनी आसां
हौसला केवल कठिनाई को हराने से मिले
कहते है सब वो के लोटा हूॅ मै मौत के घर से
जिदंगी ये यूं दुबारा तो दुआ पाने से मिले
सब थे अनजान शहर मे तेरे जब आया था
हो गया सब वो मेरा जो तेरे बहाने से मिले
खुशी खरीदने निकला था मै कही ना मिली
सुकून अपनो के हमेशा चेहरे खिलाने से मिले
होठो पर हंसी रखी दर्द न बयां किये हमने
दाग दुनिया ने दिये जख्म जमाने से मिले