— मौत का तांडव —
न जाने कौन सा पल आखिरी हो
न जाने कौन सा कदम आखिरी हो
न जाने उस पल हम कहाँ हो
पल पल बिछड़ रहे एक दूजे से !!
न जाने कौन सी वो काल हो
न जाने कौन सा वो सन्देश हो
न जाने कौन सा रिश्ता आखिरी हो
पल पल टूट रही साँसे अपनों से !!
मन में न रह जाए ग़लतफ़हमियाँ
सहम सहम कर चल रही जिन्दगियां
न जाने कौन सा कौर आखिरी हो
प्यार से मना लो रूठे जो हम से !!
वो दिन रात सुबह शाम आखिरी हो
मझधार में शायद नईया फसी हो
न सिग्नल हो, न कोई जरिया सन्देश का
रह न जाए तमन्ना कुछ अपनों से !!
अजीत कुमार तलवार
मेरठ