मौत का क्या भरोसा
मौत का क्या भरोसा,
कब तुझको आ जाए।
भज ले प्रभु का नाम तू
फिर समय न मिल पाए।।
मौत है एक सच्चाई,
ये सबको एक दिन आती।
कब कहां किसको आयेगी,
ये नहीं किसी को बताती।।
मौत कब किसको आ जाए
ये पता नहीं किसी को चलता।
क्या बहाना लेकर ये आये
ये आभास न किसी को होता।।
बड़े बड़े योद्धाओं को भी
ये मौत सभी को है आईं।
देखो इतिहास तुम उठाकर
ये किसी को बचा न पाई।।
तेरे साथ केवल जायेगी,
तेरे कर्मो की ही कमाई।
अच्छे कर्म तू कर ले
इससे बड़ी न कोई कमाई।।
जिंदगी है चार दिन की,
दो दिन की है जवानी
कर ले नेक काम इसमें,
फिर न मिलेगी ये जवानी।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम