मौत एक जादूगर
दुनियां बहुत
जादूगर है दोस्त
पल बदल लेती है
अपने रूप
कल तलक
जो अपने थे
आज हो गये
वो पराये
अमीरी है
एक जादूगर
दिखाती है
बड़े जादूगर हैं
जिंदगी के लहमे
कभी खुशी
तो कभी देते है गम
है बड़ी जादूगर
ये मौत
जब तलक
आती नहीं
नचाती है
इन्सान को
जब आ गयी
मिटा देती है
जिंदगी के
हर निशां को
स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल