मौज-मस्ती
😊मौजमस्ती😊
मेरी मौज मस्ती की कहानी,
सुनिए मेरी जुवानी
वो बचपन के प्यारे प्यारे दिन
वो कागज़ की कश्ती
हमने भी बचपन में खूब की थी मस्ती,
वो बारिश का आना फिर बारिश में नहाना
वो बारिश का पानी, कागज़ की कश्ती बनानी
फिर पानी में चलानी, वो करते थे हम अपने बचपन में नादानी,
वो मिट्टी के गडढे उसमें रोक देना हमने पानी,
वो बारिश का पानी, वो नदियाँ उफखनी
बहुत याद आती है बचपन की शैतानी
पापा का हमें पढ़ाना, उनसे फिर डाँट खानी
बहुत याद आती है बचपन की शैतानी
अपनी मौज मस्ती की कहानी,
बचपन बीता फिर आ गई जवानी
पड़ी जब जिम्मेदारियाँ तो भूल गए सारी नादानी
बहुत याद आती है बचपन की नादू
बचपन में ही गुम गई हमारी तो
मौज मस्ती की कहानी।