मौजा
आज मेरे
दायें पैर का मौजा
कहीं गुम हो गया
शायद ….
किसी कोने में अलमारी के नीचे
या किसी खूंटी पर टंगा होगा
पर नहीं मिला कहीं भी अगर
मेरा मौजा तो क्या होगा मेरा
बिन मौजे के तो
एक कदम भी नहीं बढ़ सकेगा
बायां पैर भी बिन मौजे के ..
गर्द से भर जाएगा
पल भर में नहीं
बल्कि सालों से
जुडा है मेरा मौजा
सालती ठंड मे भी साथ रहा
मेरे ह्रदय से भी जुड़ा रहा
अब दो नही बस एक हो चला है
मेरा मौजा
मनोज शर्मा