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30 Nov 2024 · 1 min read

*मौका जिस क्षण भी मिले, भर लो विहग उड़ान (कुंडलिया)*

मौका जिस क्षण भी मिले, भर लो विहग उड़ान (कुंडलिया)
________________________
मौका जिस क्षण भी मिले, भर लो विहग उड़ान
दिखलाना नभ में कला, हे प्रिय प्रतिभावान
हे प्रिय प्रतिभावान, न उड़ना सबको आता
हाथी बड़ा विशाल, मगर उड़ कब है पाता
कहते रवि कविराय, लगाना छक्का-चौका
मन में रखना आस, मिलेगा तुमको मौका
———————–
विहग = पक्षी
________________________
रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451

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