*मौका जिस क्षण भी मिले, भर लो विहग उड़ान (कुंडलिया)*
मौका जिस क्षण भी मिले, भर लो विहग उड़ान (कुंडलिया)
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मौका जिस क्षण भी मिले, भर लो विहग उड़ान
दिखलाना नभ में कला, हे प्रिय प्रतिभावान
हे प्रिय प्रतिभावान, न उड़ना सबको आता
हाथी बड़ा विशाल, मगर उड़ कब है पाता
कहते रवि कविराय, लगाना छक्का-चौका
मन में रखना आस, मिलेगा तुमको मौका
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विहग = पक्षी
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451