मौकापरस्ती
दूसरों को परहेज का ज्ञान देते हैं तो क्या
ख़ुद की डाइबिटीज में
बस चाय में चीनी कम चाहिए ,
मन कितना भी कड़वा हो तो क्या
देखता कौन है भला
ज़ुबान में तो सैकरीन घुली चाहिए ,
चेहरा भले दागों से भरा हो तो क्या
किसी भी कीमत पर
ब्यूटीमोड पर सेल्फी ख़ूबसूरत चाहिए ,
घर में घंटो पानी बेकार बहता हो तो क्या
परवाह नही इसकी
स्टेटस सेव वाटर की ही होनी चाहिए ,
घर के बंटवारे में बराबरी पर नही सहमति है तो क्या
लेकिन दूसरों के सामने
बातें बराबरी की होना चाहिए ,
ख़ुद रहते गंदगी के अंबार में हों तो क्या
देखता कौन है भला
डीपी क्लिनलीनेस इज़ नेक्स्ट टू गाॅडलीनेस की चाहिए ,
विचार कन्या भ्रूणहत्या के समर्थन में हैं तो क्या
किटि और क्लब में बस
कन्या बचाओ पर भाषण देना आना चाहिए ,
दूसरों की बेटियों के लिए सोच तुच्छ है तो क्या
नौटंकी दिखावा भर भरकर
प्रगतिशीलता का करना चाहिए ,
दूसरों की बेटियों के लिए सोच तुच्छ है तो क्या
नौटंकी दिखावा भर भरकर
प्रगतिशीलता का करना चाहिए ,
इतना ढकोसला है चारों तरफ तो क्या
अपने झूठे आडंबर पर
शीशे के सामने नज़र थोड़ी तो झुकी होनी चाहिए ।
स्वरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा , 21/03/2022 )