मोही हृदय अस्थिर, व्यथित
मोही हृदय अस्थिर, व्यथित
था, अधर मुस्काते रहे
अठखेलियां करते नयन ,
नित स्वप्न छलकाते रहे
गाते रहे मिसरी से मीठे,
गीत, चित हरते रहे
पीले मुखो पर सांझ के,
अश्रु प्रलय करते रहे
अवसाद था या स्वाद ,
जीवन, धूप सा जलता रहा
आंगन में बेसुध पीर सा
चलता रहा चलता रहा..!!
©Priya Maithil