मोहभंग
आब जौं बिछरब तऽ कतय मिलब?
जाहि तरहेँ फुल फुलाएल, फेर ओ कतय फुलाएत?
प्रेमक आन्हर मे नहि देखलहुँ, इ भारी विरह भेटत।
छोरु आब कि करब, जे रहल सब बहल चलल।
सिनेह निर्झर बहल चलल आब दुख,
त्याग मे जिनगी बीतल चलत।
नहि भेटल साथी केओ अहाँ सनक
अहाँ जे ध्रुव तारा बनि एलियै, उहो आइ सब छुटल जाइ।
बियोग जिनगीक सार रहत , मुदा प्रेम अहीं सँ करैत रहब।