मोहब्बत
महक जायेंगे रौनकों से फिर शजर देखना।
गवाह होगा मोहब्बत का ये शहर देखना।।
गुनगुनाने लगें तेरे लब जब कोई हसीं नगमा
गाओगी तेरी शिफत में लिखी ग़ज़ल देखना।।
उतर जायेगा मेरे दिल में तेरा तीरे नज़र।।
चिलमन को उठाकर के तुम मुझे देखना।।
इबादत से कम नहीं है तेरी, मेरी आशिकी।
करेगा मदद इश्क में हमको खुदा देखना।।
समुंदर का आगोश ही दरिया का मुकद्दर है।।
मर्जी है खुदा की तो बनेगी कजा देखना।।
उमेश मेहरा
गाडरवारा (एम पी)