मोहब्बत
आज फिर,से नई, बात हो, गई ।
रात का,ली हँसी, रात हो, गई।।
उसका दी ,दार तो,आज हो,गया , देखिये ,प्रेम वर ,सात हो, गई।।
लौट आ यी थी वो सब खुशियाँ मेरी
ये उदासी की शुरुआत हो गयी।।
जब विछड़ कर वो जाने लगे थे ,
जिंदगी में ग़म की रात हो गई।।
मुझसे रूठा मुकद्दर था मेरा ,
जीतते जीतते मात हो गई।।
जुर्म क्या था मेरा आप बतलाइए,
जो मुझको ये हवालात हो गई।।
कुछ समझ मे न आया दिवाकर ,
जाने कैसे ये हालात हो गई।।
दिवाकर चंद्र त्रिपाठी ।
रायपुर- छत्तीसगढ़ ।