मोहब्बत
1.मोहब्बत के जख्म दिखाऊं कैसे
ये जमाने वाले चैन से रोने भी नही देते।
बृन्दावन बैरागी”कृष्णा”
2. इस मोहब्बत के फ़साने तो जमाने से कहने होंगे,कहीं कोई बेचारा मोहब्बत के गम में मर ना जाये।
बृन्दावन बैरागी”कृष्णा”
1.मोहब्बत के जख्म दिखाऊं कैसे
ये जमाने वाले चैन से रोने भी नही देते।
बृन्दावन बैरागी”कृष्णा”
2. इस मोहब्बत के फ़साने तो जमाने से कहने होंगे,कहीं कोई बेचारा मोहब्बत के गम में मर ना जाये।
बृन्दावन बैरागी”कृष्णा”