मोहब्बत है तो लफ्जों में इजहार कर
मोहब्बत है तो लफ्जों में इजहार करो
इतना आसान कहांँ है लफ्जों में कहना
मोहब्बत यूँ ही नहीं हो जाती ,
कुछ पिछले जन्म का रिश्ता
इस जन्म में दो अनजान बन मिलन
नजरों ही नजरों में प्यार होना
इक दूजे के लिए दिल का तड़पना।
मन की कहने को तरसना
जब हो जाता दो आत्माओं का मिलन
तो मोहब्बते इजहार हो ही जाता।
जहांँ प्रेम होता है सच्चा
वहाँ डर नहीं बीच आता
लफ्जों में इजहार हो ही जाता है।
नीरजा शर्मा