मोहब्बत मे दर्द, दर्द से मोहब्बत…
मोहब्बत मे दर्द मिला,
दर्द से मोहब्बत… कर बेठा
मोहब्बत की इन्तहा मे दर्द मिला बेहिसाब
ज़माने की नजरों ने किया बेहिजाब…
मेरे अफसानो पर मुस्कुराता है ज़माना
अपने मचलते दिल को है समझना
अब आरज़ू है के…
दर्द इतना मिले के मोहब्बत को भूल जाऊ,
मगर डरता हू के…
दर्द से मोहब्बत ना कर जाऊ….
उमेन्द्र कुमार
मुरादाबाद